पीएफ को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद क्‍या होगा? ईपीएफओ में मची खलबली

Employee Provident Fund Organisation: कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद एम्‍पलाई प्राव‍िडेंट फंड आर्गेनाइजेशन (EPFO) में खलबली मची है. उच्‍चतम न्‍यायालय ने पीएफ स्‍कीम पर एक अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले से ऐसे हजारों विदेशी कर्मचारियों पर असर

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Employee Provident Fund Organisation: कर्नाटक हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद एम्‍पलाई प्राव‍िडेंट फंड आर्गेनाइजेशन (EPFO) में खलबली मची है. उच्‍चतम न्‍यायालय ने पीएफ स्‍कीम पर एक अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले से ऐसे हजारों विदेशी कर्मचारियों पर असर पड़ेगा, ज‍िन्‍होंने पहले से पीएफ योजना में योगदान द‍िया हुआ है. दरअसल, साल 2008 में विदेशी कर्मचारियों को ईपीएफ के अधीन लाने के ल‍िए एक बदलाव क‍िया गया था. इससे विदेशी कर्मचार‍ियों के ल‍िए पीएफ योजना का लाभ उठाने का रास्‍ता खोल दिया गया था.

अब ईपीएफओ का क्‍या है प्‍लान?

अदालत के फैसले में इसे असंवैधानिक और मनमाना करार दिया गया है. इस फैसले के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में खलबली मच गई है. ईपीएफओ का कहना है कि कर्नाटक हाई कोर्ट की तरफ से द‍िए गए आदेश पर आगे क्या करना है, इस पर विचार क‍िया जा रहा है. हाईकोर्ट ने आदेश में विदेशी कर्मचारियों को पीएफ के दायरे में लाने वाले बदलाव को मनमाना करार द‍िया था. कर्नाटक हाई कोर्ट ने ईपीएफओ (EPFO) के दायरे में अंतरराष्ट्रीय कर्मचार‍ियों को शामिल करने के प्रावधानों को खारिज कर दिया है.

फैसले को गलत क्‍यों माना गया? ईपीएफओ (EPFO) ने फैसले से संबंधित सवालों के जवाब में कहा, ‘न्यायालय के फैसले के प्रति पूरा सम्मान रखते हुए ईपीएफओ (EPFO) इस फैसले के जवाब में आगे की कार्रवाई के तरीकों पर विचार क‍िया जा रहा है.’ यह फैसला कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 के पैराग्राफ 83 और कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के पैराग्राफ 43ए में बताए गए अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों के लिए विशिष्ट प्रावधानों से जुड़ा है. इन्हें संविधान के अनुच्छेद-14 के साथ असंगत माना गया.

15 साल पहले क्‍या न‍ियम बना? कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 का पैराग्राफ 83 अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों के संबंध में विशेष प्रावधानों से संबंधित है. इसके तहत एक अक्टूबर, 2008 से हर अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी जिसकी बेस‍िक पे और डीए 15,000 रुपये महीने तक है, वह योजना के दायरे में आएंगे. भारत का वर्तमान में 21 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता है. ये समझौते पारस्परिक आधार पर इन देशों के कर्मचारियों के लिए निरंतर सामाजिक सुरक्षा दायरा सुन‍िश्‍च‍ित करते हैं.

क्‍या था समझौते का मकसद ईपीएफओ ने कहा कि जब इन देशों के नागरिक एक-दूसरे के क्षेत्रों में नौकरी करते हैं, तो उनकी सामाजिक सुरक्षा बनी रहती है. देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौते भारत सरकार के अन्य देशों के साथ किये गये सरकार के स्तर पर समझौते हैं. इन समझौतों का मकसद अंतरराष्ट्रीय रोजगार के दौरान कर्मचारियों की निर्बाध सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने की गारंटी देना है.

ईपीएफओ के अनुसार, समझौतों को जरूरी रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांतों का पालन करना चाहिए. उसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को बढ़ावा देने और जनसांख्या संबंधी लाभांश का लाभ उठाने के लिए ये समझौते भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. ईपीएफओ ऐसे सामाजिक सुरक्षा समझौतों के लिए भारत में परिचालन एजेंसी के रूप में कार्य करता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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